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Category Archives: Hindi Poetry

my nani photo

नानी

क्या पता कैसी थी वो ?अब तो सदियों पुरानी होगी,कैसा था चेहरा ?कैसी थी आँखें ?और कैसी मुस्कान ?कभी देखा ही नही,तो क्या समझूँ कैसी थी वो ? भूल गयी हूँ चेहरा उनकाकहती अक्सर माँ,बचपन में ही खो दिया था,तो क्या समझाऊं कैसी थी वो

sab kuch hai neela poem image

सब कुछ है नीला

चलो कह देतें हैं एक और झूठ,आखिर दुनिया में सच है ही क्या? आकाश का रंग,है आँखों का छलावा |अगर अंबर है नीला,तो मेरा मन भी है नीला,मेरी ज़ुबान भी है नीली, मेरा पैसा भी नीला |मेरे बाल,चलो कुछ तो सफ़ेदपर बाकी सब है नीले

mera chhota sa jahaz image

मेरा छोटा सा जहाज़

बादल नीचे,आसमान अब भी ऊपर,तैरता सफ़ेद रज़ाई परमेरा छोटा सा जहाज़ |पंखियों से अपने काटे रस्ता,रस्ता नापे दिशाहीन नीले अंबर का,ऊंचाइयों को बतलाताअपने कद का मसलाकैसे लोग उसे हमेशा,हमेशा ही नज़रअंदाज़ करते |कैसे तौली जाती बाते उसकीआकारों के तराज़ू मेंऔर मोल कभी सही न लगताउसके

tommy inberg photo for scottshak's poem

मैं भी कभी कभी लिख लेता हूँ

मैं भी कभी कभी लिख लेता हूँ,जलता हूँ अक्सरउन लोगों सेजो कितनी आसानी से अपनी बात कह देते हैं,जो दिल में होता है उसे तुरंत ही रख देते हैं |कैसे?कैसे ज़िन्दगी इतनी सहल कर रखी है भला?क्यों नहीं कभी भरता तुम्हारी सोच का घड़ा?वह क्या

touching water in autumn photo for scottshak's poem

साक्ष्य

खोजूं तेरे समभावशब्दों की धुरी में, तेरी आदतों में छिपती हैमेरी परछाइयों के निशाँ |तू सर्द में है वो मख़मली कम्बल,ओढ़ते ही जो भुला दे दिन रात का पता |हरारत में तेरी उँगलियों के छींटे,सौंप दे जो ओस की सीत्कार,तू शब्द है ऐसे प्रचंड,लगते ही

sick image for scottshak's poem

बीमार

ऐ बीमारतू है किसका शिकार ? शायद वो हवाजो चली थी सर्राटे से,बदल गई मिजाज तेरे,सिकोड़ गई तुझेअपने आवरण में,ले गई तुझे अपने भीतरखुद से अवगत कराने | या वो पानी जो तू पी गयाबिन सोचे समझे,तू कहता थापानी का रंग तोदिखता है प्यासे को,मैंने

kanch ki macchli image

कांच की मछली

कांच की मछली,कांच में रहती,पानी तो बस ढोंग है,घर है मेरा चार दीवारीरस्ता डामाडोल है | खाना मेरादाना होता,हर सुबह की जंग है,कभी कभी तोकुछ नही मिलतापानी के इस रंग में | सबका व्यंजन,मैं मनोरंजन,भूखे मुझको ताकते, कितनी बड़ी है,कितनी छोटी,अक्सर मुझको आंकते | लोग

inside of a well image

कुएँ का मेंढक

कुँए का मेंढकक्या तू जानेदुनिया कितनी गोल रेघर के अंदरसब है सीधाबाहर सब अनमोल रे | तुझे लगता हैसब सीमित हैआशाओं के किले मेंबाहर की दुनियातो लगतीमनोरथ के जिले में | आकाश समंदरसब है नीलेफिर क्यों जानु रंग मैंकिस्मत हो जबमेरी कालीक्यों न पकड़ूँ पलंग

afternoon दोपहर creative photography

दोपहर

दोपहर !तेरे बारे मे कोई न कहे,याद तुझे कोई न करे | तेरे चुपके से आने का इंतज़ार कौन ही करता है ?तू खामखा खड़ा हैचौखट पर,लोटे की ताक मे,तुझे अर्चन देनेकौन ही आएगा ? मुर्झायें डालों परहर अंग सिकुड़ता है,कराहता हर मन,कोसे तुझे ज़ुबाने,बेहिसाब

amit bhar drawing of mom

माँ तुम ना हो तो

माँ तुम ना हो तो,हर शब्द है चिंघाड़,हर जिद्द है नखरा,हर कदम पर चोट,मरहम दे आँसू,हर बच्चा कंधाऔर जुबां बंदूक | हर गाना है तानाजो चुभता रोज़ाना,हर बात है बतंगड़,हर लफ्ज़ है कराहना,हर काम है पर्वत,हर लक्ष्य है चोटिल | असीम अँधेरा,ढूंढू तुझे हर दिनहै