धीमी चला तू साँसे

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कम से कम चला रे साँसे
साँसों को तू संभाल रख,
है जरुरत आगे जाकर
हौसले को तू बांध रख |

क्यों चाहिए इतनी साँसे ?
चंद लगेगी जीने को,
आगे की नदी तो सूखी पड़ी है
पानी भी न मिलेगा पीने को |

व्यर्थ लगा मत आज की साँसे
कल बड़ा गंभीर है,
आज खुले हैं ताले तेरे
कल पैरों में ज़ंजीर है |

साँस थाम के चल दे पंथी
साँसों को लगा कर साँसें जोड़,
पर बनेंगे नए तो उड़ना
नभसागर की सीमा तोड़ |

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