Browse By

Tag Archives: suryaast

sunset bird for scottshak's poem

सूर्यास्त

बादल, चंदा, तारे एक तरफ, पर सूर्य हमारा अतुलनीय। हमारे आसमान का पहरेदार,एक लौता ब्रह्मांडीय जीव, हमारे किरमिच की शान,अकेले ही बढ़ाता, जिसके चारों ओर हमचक्कर लगाते। और क्यों न लगाएँ? चीज़ ही है ऐसी! हमारे अवकाश का तर्क,हमारे अस्तित्व का कारण, दिन भर साथ